दोस्त
दोस्त
दोस्तों का क्या है वह तो सार -ऐ - रहा बक देते है।
इसीलिए तो दोस्त बिना कहे सब समझ लेते है।।
जब बंद हो दिल के दरवाजे तो चुपके से झाँक लेते हैं।
उन्हें कहाँ फ़र्क पड़ता है वो उदासी को हंसी में बदल देते है।।
जब भी गुस्सा हो तो झट से हाथ पकड़ कर गले से लगा लेते हैं।
जब तक ना बताओ वजह सर से पांव तक जमीन की खाक छान लेते है।।
हर खबर पर वो अपनी बड़ी पैनी नज़रें बनाएं रखते हैं।
निकल ना जाये हम उनसे आगे इस बात से भी वो बहुत डरते हैं।।
वो चंद दोस्त ही तो होते हैं जो तुमको दिलों जान से समझते हैं।
तकरार और प्यार में वो हमेशा ख़ुद को उलझाये रखते हैं।।
घूमा फ़िरा के करनी पड़े बात ऐसा बनावटीपन व्यक्तित्व नहीं रखते है ।
दहलीज़ से आकर जो लौट जाएं ऐसे दोस्त सिर्फ दिखावटी से लगते हैं।।
वो दिल का एक कोना दोस्ती के लिए हमेशा आबाद रखते हैं।
वो उसमे किसी और की दखलअंदाजी कभी बर्दाश्त नहीं करते हैं।।
वो घंटों ख़ामोश रहकर एक-दूसरे की ख़ामोशी से बातें सुनते हैं।
वो खून के ना सही पर उनसे कहीं ज़ियादा सच्चे रिश्ते हो जाते है ।।
