मैं सिर्फ मैं नहीं, तुम ही तुम हो
मैं सिर्फ मैं नहीं, तुम ही तुम हो


मैं वो चाँद हूँ, जिसकी चाँदनी हो तुम
मैं वो सूरज हूँ, जिसकी रौशनी हो तुम
मैं वो दीपक हूँ, जिसकी बाती हो तुम,
मैं सिर्फ मैं नहीं, तुम ही तुम हो।
मैं वो पानी हूँ, जिसकी प्यास हो तुम
मैं वो तलवार हूँ, जिसकी धार हो तुम
मैं वो आवाज़ हूँ,जिसकी पुकार हो तुम
मैं सिर्फ मैं नहीं, तुम ही तुम हो।
मैं वो पुष्प हूँ, जिसकी खुशबु हो तुम
मैं वो पक्षी हूँ, जिसकी कलरव हो तुम
मैं वो झरना हूँ, जिसकी कल - कल ध्वनि हो तुम
मैं सिर्फ मैं नहीं, तुम ही तुम हो।
मैं वो रास्ता हूँ, जिसपर चलने वाले राही हो तुम,
मैं दिल हूँ, उसमे हर पल धड़कने वाले धड़कन हो तुम,
मैं वो सीप हूँ, जिसकी मोती हो तुम
मैं सिर्फ मैं नहीं, तुम ही तुम हो।
मैं वो प्रकृति हूँ, जो तेरे बिन अधूरी है
मैं वो किताब हूँ, जिसके हर पन्ने पर तेरा नाम है
मैं वो अनकही दास्तां हूँ, जिसे सिर्फ समझते हो तुम।
क्योंकि मैं सिर्फ मैं नहीं, तुम ही तुम हो।