वीर शहीद जसवंत सिंह रावत
वीर शहीद जसवंत सिंह रावत
वीर शहीद जसवंत सिंह रावत
हमारे कान्हा जी की तरह ही
वीर सैनिकों की दो माताएं हैं।
जन्म भले ही उनकी मां ने दिया,
परंतु कहलाते वो धरतीपुत्र ही हैं।
और इन्हीं धरती पुत्रों में से एक है,
हमारे वीर शहीद जसवंत सिंह रावत।
1962 वाली युद्ध में
चीनी सेना को मजा चखाया था,
अरुणाचल प्रदेश को
हमारे जसवंत जी ने बताया था।
चीनी सेना ने आकर
बड़ा ही उत्पात मचाया था,
*बुद्ध* की मूर्ति को काटा,
नारी इज्जत लूटाया था।
जसवंत जी, त्रिलोक जी, गोपाल जी ने
युद्ध का बिगुल बजाया था,
अपनी अदम्य साहस का
परिचय उन्हें दिखाया था।
3 दिनों तक युद्ध मे
अकेले धूम मचाया था,
नापाक इर
ादों वालों को
नाको चने चबवाया था।
रसद आपूर्ति न होने के कारण
कमजोर खुद को पाया था,
गोली मार के खुद को उन्होंने,
*वीरगति* को पाया था।
यह सब जानके चीनी सेना
आश्चर्यचकित से रह गए,
मस्तिक उनका काटकर
संग वो अपने ले गए।
रख ना पाए वीर शीश को
ससम्मान वापस किया,
साहस उनका देख कर
नतमस्तक हर सैनिक हुआ।
भारत की पूर्वी सीमा पर,
आज भी वह तैनात हैं,
वीरगति को प्राप्त हुए
पर जीवित हर दिल में आज भी हैं।
हमारे वीर सैनिक *जसवंत सिंह रावत*जी
को कोटि कोटि नमन।