मेरा श्रृंगार उन्ही के नाम
मेरा श्रृंगार उन्ही के नाम


मेरे पूरे शरीर पर सोलह श्रृंगार
उन्हीं की नाम की सजती है,
मेरी दुनिया तो
उन्ही की दुनिया मे बस्ती है।
सिंदूर मेरे माँग मे सजती है,
उम्र उनका बढ़ाती है।
बिंदिया मेरे माथे पर लगी,
चेहरा उनका खिलाती है।
होठों पर लाली मेरी लगी,
मुस्कान उनके लबों पर आती है,
जो कंगन हाथों मेरे खनके,
दिल उनका धड़क-सी जाती है।
मेहंदी मेरी हाथों मे लगी,
नाम सजना का रचाती है।
*गहरा रंग हो मेरी मेहंदी का
पर प्यार उन्ही का कहलाती है।
मेरे बालों मे लगे गजरे
घर उनका महकाती है,
मेरे पैरों की पायल,
उनके घर को छनकाती है।
और इन सबके स्थान पर
मैं उनसे चाहती हूँ तो बस
थोड़ा सा प्यार, थोड़ा सा आदर
और थोड़ा सा सम्मान।