ये चांद...
ये चांद...
लकीरों में भले हो ना हो,
इस दिल पे लिखा है नाम तेरा...
बादलों की ओट से निकलकर,
ये चांद ले आता है पैग़ाम तेरा...
झलक पाने को तेरी एक बस,
चकोर बनने पर अड़ा है दिल...
इत्मीनान से इंतज़ार करता हुआ,
शाम से ही छत पे खड़ा है दिल...
दीदार के लिए तरसाना,
बोहोत पुराना है काम तेरा
बादलों की ओट से निकलकर,
ये चांद ले आता है पैग़ाम तेरा...
घेरे हुए तुझको हमेशा,
ये दिल जलता है तारों से...
उछलकर तुझे छूने के लिए,
कोशिशें करता है हजारों से...
तन्हा दिल को और तन्हा,
कर जाता है ये शाम तेरा...
बादलों की ओट से निकलकर,
ये चांद ले आता है पैग़ाम तेरा...
निहारते रहे तुझको हर वक्त,
ये दिल कभी भी भरता नहीं...
शाम से भले ही रात हो जाए,
पर ये छत से उतरता नही...
सुबह की पहली किरण के साथ,
ये दे जाता है सलाम तेरा...
बादलों की ओट से निकलकर,
ये चांद ले आता है पैग़ाम तेरा...
लिखते रहे इन पन्नो पर,
तेरे मेरे दास्तान कई...
फ़िर से कही हो मुलाकात,
दिल में है ये अरमान कई...
लिखते लिखते हो ना जाए,
कही आशिक़ ये बदनाम तेरा...
बादलों की ओट से निकलकर,
ये चांद ले आता है पैग़ाम तेरा...
लकीरों में भले हो ना हो,
इस दिल पे लिखा है नाम तेरा...
बादलों की ओट से निकलकर,
ये चांद ले आता है पैग़ाम तेरा...