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दंभी पुरुष

दंभी पुरुष

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जो जोड़ता है

वही तोड़ता है


और जो तोड़ता है

वही फिर से जोड़ता है


कई अरमानों का गला घोटकर

कई मासूमों के सिर कुचलकर

वह आगे बढ़ता है


कई अबलाओं के वस्त्र नोचकर

कई प्रतिमाओ को नग्न करकर

वह अपने अहम् ढकता है


पूजा थाल मिष्ठान सजाकर

वही घर-घर पूजा जाता है


युग का परिचायक वही 'शिखंडी'

आज निष्ठावान 'पुरुष' कहलाता है।


(अत्याचारी और दंभी पुरुषों के लिए)



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