युग का परिचायक वही 'शिखंडी' आज निष्ठावान 'पुरुष' कहलाता है। युग का परिचायक वही 'शिखंडी' आज निष्ठावान 'पुरुष' कहलाता है।
आज जीने के लिए, इक शिखण्डी चाहिए। काल को जो ग्रास ले, शक्ति चण्डी चाहिए। आज जीने के लिए, इक शिखण्डी चाहिए। काल को जो ग्रास ले, शक्ति चण्डी चाहिए...