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Subhrakanta Mishra

Abstract Romance Classics

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Subhrakanta Mishra

Abstract Romance Classics

दिल से जुडी बातें...

दिल से जुडी बातें...

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तन्हाई उमस बन चुकी हे...

कभी बारिश भी लाया करो...

मायूसी छायी हे हर पल...

कभी तुम सुकून दिलाया करो....


ज़हन में तेरे नाम यूँ ही नहीं हे...

ख्वाबों में नहीं हक़ीक़त में आया करो...

तेरी खुसबू का एहसास हे मुझे

पर तुम्हारी खुसबू नहीं तुम आया करो


बेवफा होचुके हें हम तेरे बिना

कभी झूट से ही सही , पास आया करो

ज़िन्दगी के लौ भुजने से पहले

दिल की बातें जुबान पर लाया करो


कभी प्यार भी प्यार नहीं लगता

पर दिल में छुपी ज़ुबान को सुन लिया करो

यह ज़ुबान आईना की तरह होती हे जनाब

आईना में हर बार खुद को देखा करो।


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