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Shubhrakanta Mishra

Others

3.5  

Shubhrakanta Mishra

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कुछ यूं ही

कुछ यूं ही

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सितारे बहुत सारे हैं आसमान में

वह एक चन्द्रमा था


बहुत वक़्त गुजारे जिंदगी में

पर वह खुशनुमा पल था


कैसी रुस्वाई गीले शिकवे थे मन में

कह के भी हल्का हो सकता था


जिंदगी गंवा के क्या मिला उसे

इबादत भी तो कर सकता था


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