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Subhrakanta Mishra

Romance Fantasy

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Subhrakanta Mishra

Romance Fantasy

हुस्न-ए-जहां

हुस्न-ए-जहां

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जब मैं दिल से पूछता हूँ

ऐ दिल तेरे दिल में कौन है

दिल से एक आवाज़ आती है

उस आवाज़ में तेरा नाम है


हाँ कभी रूठ जाती है तू

हाँ कभी गलत समझती है तू

पर मैं भी बड़ा नासमझ हूँ

जो तेरे रूठने से रूठ जाता हूँ


वाकये बहुत है जिसमे तू ख्याल आती है

प्यार करता हूँ फिर भी बड़े सवाल आते है

कितनी दफा इज़हार करूँ इस प्यार को तुझ पे

अपना ईमान अपनी जान क़ुर्बान करूँ तुझ पे


अभी मान भी जाओ हुस्न-ए-जहां

वक़्त की नज़ाकत को थोड़ा समझो

हम मोहब्बत तो करते है तुमसे

मुझे नहीं मेरे भावना को तो समझो


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