धुन
धुन


नहीं सो सकी रात भर ये सोच कर
कि खुल न जाए नींद उनकी किसी बुरे ख़्वाब से
नहीं उठाये हाथ अपने सर से उनके
शायद रह जाये बरक़रार नींद उनकी मेरी छुअन से
निसार हो मुझ पर नज़र ऐसी ख़ास चाहत भी नहीं
ये बात शायद एक-तरफ़ा प्यार की है
किसी शर्त के बंधन में अपना रिश्ता भी नहीं
ये बात शायद बाज़ार में व्यापार की है
तपन उनके बदन की मेरी रूह झुलसाती है
करवटों में उनके सिरहाने मेरी रात गुज़र जाती है
मेरी तो भक्ति ह
ै मगर जिसका प्यार है
उसे रात भर खुदा जाने नींद कैसे आती है
कोई कहे जुनून मेरा या कहे मेरा पागलपन
बंधी है डोर मेरी साँसों की, उनकी मुस्कान से
वो प्राण हैं मेरे मैं साया उनका
फिक्र नहीं गर मुस्कुराते है उनके लब किसी और के नाम से
मेरा इश्क़ तज़ुर्बे से क़ामिल नहीं तो क्या
वो सामने हैं मेरे... पास नहीं तो क्या
किस्सों में मोहब्बत के वफ़ादार बन गयीं मैं भी आज
वफ़ादार हैं वो भी... किसी और के लिए हैं तो क्या