डूब ही जाता अगर तू न आता
डूब ही जाता अगर तू न आता
तू न आता डूब ही जाता अगर तू न आता
राह मिलती कहाँ अगर तू रास्ता न दिखाता
कौन देता सदायें मुझको
हाथ मेरा मैं किसको थमाता डूब ही जाता
अगर तू न आता एक भी आसरा था कहाँ
था अकेला निपट और ये बैरी जहाँ डूब ही जाता अगर तू न आता
ज्ञान का ज्ञ भी न सीख पाता
कलम टूटी मैं कैसे बनाता डूब ही जाता अगर तू न आता
हैं हजारों खामियाँ इस चमन में
काज बिगड़े संवार कौन पाता डूब ही जाता अगर तू न आता
नाव कमजोर है औ पतवार भी तो नहीं है
पार सागर के कोई कैसे हो पाता डूब ही जाता अगर तू न आता
दे सहारा ओ मालिक मुझे अपना समझ कर
भीड का तन्त्र हर पल है मुझको डराता
डूब ही जाता अगर तू न आता.