चाहता है
चाहता है
कभी धूप तो कभी हवा चाहता है,
हर मर्ज़ की मुझसे दवा चाहता है।
शायर हूँ मैं कोई जादूगर तो नहीं,
जाने क्या मुझसे ख़ुदा चाहता है।
कभी धूप तो कभी हवा चाहता है,
हर मर्ज़ की मुझसे दवा चाहता है।
शायर हूँ मैं कोई जादूगर तो नहीं,
जाने क्या मुझसे ख़ुदा चाहता है।