वक्त
वक्त
ऐ वक्त
तू रुकता क्यों नहीं?
पल पल
बढ़ता रहता है,
कभी थकता क्यों नहीं?
कुछ मेरी भी
सुनता जा,
सुन क्या कहते हैं हम..!
जब
खुशियों का हो मौसम,
पल दो पल
वहीं जाना थम!
मुफलिसी के दौर में,
सरपट दौड़
लगाना तुम!
ग़म के आंसू
जब छलके,
छुपके गुजर जाना तुम!
जब भर आएं
खुशियों से आँखें,
दो पल
तैर जाना तुम!
करते नहीं
अहित किसी का
फिर भी बुरे बन जाते हो!
क्यों करते
मनमानी हरदम,
बे वक्त क्यों
आ जाते हो!
कभी तो
सुन लो बात
'मीत' की'
फिर
तुमसे अच्छा,
तुमसे सच्चा,
तुमसे प्यारा कोई नहीं!!
