किसान को-न बहकाओ न बहलाओ
किसान को-न बहकाओ न बहलाओ
आपकी टार्च की बिक्री
होती उतनी ही अधिक तय।
जितना आप बता सकें सबको
अंधेरे में होने वाले खतरों का भय।
अंधेरा चहुं ओर है अंधेरे में न जाइए
हो सकता है शूल, गड्ढा, सांप या कोई कीड़ा।
इनमें से या किसी और कारण से चुभन की
होगी बड़ी ही असहनीय सी पीड़ा।
आज विपक्षी नेता और सरकार
किसानों को अपने तरीके से समझा रहे हैं।
कोई बहकाता और कोई बहलाता है
सबसे ज्यादा भुगतते हैं अभावग्रस्त निर्बल लोग।
छोटे किसान योजना के बारे में
मुश्किल से न के बराबर ही जानें।
सरल इतने कि जो जैसे समझा दे
उसकी बात को ही पूरा ही सच मानें।
जरूरत है आज की प्राप्त हो सच का ज्ञान
जिससे बहकाया या बहलाया न जा सके किसान।
वर्षा-शीत-धूप सह करते हैं अनवरत काम
ऐसे अपने अन्नदाता को मेरा है कोटिक प्रणाम।