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Gayatri Singh

Abstract Classics Inspirational

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Gayatri Singh

Abstract Classics Inspirational

दृढ़ संकल्प ये हमारा हो

दृढ़ संकल्प ये हमारा हो

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न छूटेगा सन्मार्ग कभी,

दृढ़ संकल्प ये हमारा हो,

छूटे न सन्मार्ग तभी तो,

सार्थक जन्म हमारा हो,

है टेढ़ा हो सकता जरूर,

सुंदर जग का ये सहारा है।


सदियों से सच का रस्ता,

गुजरता है मुश्किल दौर से।

खुद को चाहत खुशियों की,

मुश्किल और ग़म की और से।

केवल चाहत खुशियों की क्यों?

जीवन में गम भी तो हमारा है ।

है टेढ़ा हो सकता जरूर,

सुंदर जग का ये सहारा है।


सभी देखते हैं इस जग में,

बड़े ही सुंदर-सुंदर सपने।

जो ग़म दें उन्हें गैर समझ,

जो सुख दें वे सब अपने।

गैर न समझें कभी किसी को,

सकल जग ही परिवार हमारा है।

है टेढ़ा हो सकता जरूर,

सुंदर जग का ये सहारा है।


तेरे-मेरे का भेद मिटाकर,

सकल वसुधा को स्वर्ग बनाएं।

ये जीवन तो है वरदान प्रभु का,

लेश नहीं इसको हम व्यर्थ गंवाएं।

हों अनुकरणीय कर्म सब अपने,

तभी तो होगा सार्थक जन्म हमारा।

है टेढ़ा हो सकता जरूर,

सुंदर जग का ये सहारा है।


न छूटेगा सन्मार्ग कभी ,

दृढ़ संकल्प ये हमारा है,

छूटे न सन्मार्ग तभी तो,

सार्थक जन्म हमारा है,

है टेढ़ा हो सकता जरूर,

सुंदर जग का ये सहारा है।

न छूटेगा सन्मार्ग कभी,

दृढ़ संकल्प ये हमारा है।


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