सुखमय होगा अपना संसार
सुखमय होगा अपना संसार
भाव सकारी रखते हुए मन में,
रखना है हमको सदा ये ध्यान।
ये समाज-तन-मन और जीवन,
अनुपम हमको प्रभु का वरदान।
हम सब संतति हैं परमेश्वर की,
है सारा जगत एक ही परिवार।
है नासमझी और है बेहोशी है
निज परिजन संग में तकरार।
जैसे बढ़ते गए हम इस जग में,
भूलें लक्ष्य और प्रभु का संदेश।
समझ श्रेष्ठ खुद को हीन दूजों को
भ्रमित होकर बांट रहे हैं उपदेश।
जग को बदलना अति दुरूह है
तो हम अपने ही में करें सुधार।
समायोजित कर लेवें अपने को
तो सुखमय होगा अपना संसार।
