बाधाओं को ठुकराते ही चलें
बाधाओं को ठुकराते ही चलें
गर ज्ञान हमें हो निज पथ का,
तो मंजिल हो जाती है आसान।
पर जब तक रास्ता न करे कोई,
तब तक हो पाएगा कैसे ज्ञान?
नव पथ का निर्माण जो करते,
कष्ट तो वे विविध उठाते हैं।
बहुधा वे तो सुख भोग न पाते,
पर आसान मार्ग कर जाते हैं।
पथ चाहे कितना मुश्किल हो,
या हो वह कितना ही आसान।
दृढ़ निश्चय और सतत् प्रयासों
से ही मंजिल को पाएगा इंसान।
केवल सुन या पढ़ लेने मात्र से,
मंजिल तो कभी न मिलती है।
उतरना पड़ता है तरण ताल में,
तैराकी पढ़ने से न मिलती है।
मंजिल पाने का जुनून ही तो
हमें सतत् लगाए रखता है।
शांति और निश्चय दृढ़ मन में हो
निज लक्ष्य हमें तब मिलता है।
हम मत सोच विचार करें ज्यादा
दृढ़ निश्चय संग पथ पर तो निकलें।
मिले बहुत शीघ्र या कुछ समय लगे,
सब बाधाओं को ठुकराते ही चलें।