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Gayatri Singh

Abstract Action Inspirational

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Gayatri Singh

Abstract Action Inspirational

निष्फल धूर्तों के प्रपंच करें

निष्फल धूर्तों के प्रपंच करें

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आज के समय में नजर आ रहा, बड़ा भयानक सा यह रोग,

खुद को चमकाने की खातिर, तिकड़म बहु अपनाते लोग।

निजी स्वार्थ हित किसी की पीड़ा का,न करते हैं कोई बोध।

पहचान बचाने-बनाने हेतु, दूसरे के सहारे करते हैं विरोध।


सारी शासन व्यवस्थाओं में, सर्वोत्तम है लोकतंत्र,

जनता द्वारा खुद पर शासन ही,है इसका मूल मंत्र।

शातिर धूर्त लूटते जनधन, करते रहते बहु षड्यंत्र,

जो लूटे सो लगे हितैषी, बना रखा कुछ ऐसा तंत्र।


जिसका खाएं उसे गरिआएं पर दुश्मन की करें प्रशंसा,

देशभक्त भी समझे जाएं वे प्रकट दिखाते ऐसी ही मंशा।

अंतर्मन कौवे से भी काला पर हैं खुद को बतलाते वे हंसा,

वंदेमातरम बोलने से शर्माएं,घर का भेदी है कोई उन सा।


चाहे कोई कुछ भी कर ले, बस विरोध के लिए विरोध,

 रोगग्रस्त होता है यदि तन, उपचारित करते कर शोध।

बड़ा सख्त है बड़ा लचीला अपने भारत का संविधान,

सामान्य बहुमत से लोक हितैषी संशोधन का है प्रावधान।


कानून में जो कोई कमी है, दूर कर लें संशोधन करके,

मध्य मार्ग चर्चा से निकालें,मत हानि करो यूं हठ करके।

निज कर से तन पर घात करें दोनों घायल होंगे अपने,

निष्फल धूर्तों के प्रपंच करें साकार करें मंगल सपने।


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