आनंदित होगा हमारा अपना संसार
आनंदित होगा हमारा अपना संसार
क्यों न रखें रंगकर्मी सा ही
जग में हम अपना व्यवहार?
संभवतः तब आनंदित होगा,
हमारा अपना सारा संसार।
चाहे किसी दिन का ही हो,
या किसी जीवन का प्रभात।
बदलता रहता सतत् समय,
संग-संग बदलते हैं हालात।
चाहे अनचाहे बदलती सोच,
बदलने पड़ जाते हैं विचार।
क्यों न रखें रंगकर्मी सा ही
जग में हम अपना व्यवहार?
वसुधा रूपी रंगमंच पर हम,
निभाते मांग अनुरूप चरित्र।
समझते भ्रमवश जिसे वैरी,
वास्तव में होता सच्चा मित्र।
दारुण दुःख देते और पाते,
जहां देना लेना होता प्यार।
क्यों न रखें रंगकर्मी सा ही
जग में हम अपना व्यवहार?
जग की नजरों में बनाने को,
खुद की नजर में न गिर जाएं।
बेशर्त क्षमा याचना-क्षमा दान,
निज जीवन आनंदमय बनाएं।
भविष्य-भूत की चिंता त्याग,
आनंद बांट वर्तमान लें सुधार।
क्यों न रखें रंगकर्मी सा ही
जग में हम अपना व्यवहार?
क्यों न रखें रंगकर्मी सा ही
जग में हम अपना व्यवहार?
संभवतः तब आनंदित होगा,
हमारा अपना सारा संसार।