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Sushma s Chundawat

Abstract

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Sushma s Chundawat

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इन्तज़ार

इन्तज़ार

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सुनो, तुम आओगे ना !

जब तुम आओगे, तब मेरे आँगन में

मुद्दतों बाद फूल खिलेंगे

हाँ, इस सूने मन के आँगन में

उग आएंगे जुही, मोगरा, गुलाब के फूल

उनसे उठती खुशबू से महक उठेगी मेरी दुनिया...


जब तुम आओगे, उस दिन बारिश होगी

झर-झर झरती खुशियों की बरसात

अब तक तो अपने ही आँसुओ की बौछार में

भीगती आयी हूँ मैं बरसों-बरस

 पर तुम्हारे आ जाने से मेरा सारा दर्द

जो जमा बैठा है बादलों के गोलों सा

हो जाएगा तितर-बितर मेरी जिन्दगी के गगनांचल से

बस रह जाएगा ताजी मिट्टी की खुशबू में लिपटा

तुम्हारे-मेरे प्यार का ठण्डा सा एहसास...


जब तुम आओगे, मेरे घर के बाहर लगे नीम पर

नन्हीं-नन्हीं कोंपलें फूट उठेगी

एक लंबे अरसे से उस पर नये पत्ते नहीं आये

लू में जलते,तपते,मुरझाते,मरते पत्तों की जगह

हरियाली लौट आएगी तुम्हारे आने से

मगर सुनो, तुम आओगे ना...

तुम आओगे तो सही ना ?


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