शिक्षक की महिमा
शिक्षक की महिमा
शिक्षक की महिमा अपरंपार,
गुरू बिन होता ना उद्धार।
अज्ञानता रूपी अंधकार के नाशक,
ये परम श्रद्धेय अपार।
होते सदा ये सीधे-सादे,
नहीं रहता कभी कपटपूर्ण व्यवहार।
ठोक-पीट कर लेते परीक्षा,
जैसे हो कोई कुशल कुम्भकार।
कोरोना काल में भी कर्तव्य पथ से ना डिगे,
ऑनलाइन शिक्षा देकर किया उपकार।
इनकी कृपा से ही विपरीत परिस्थितियों में भी,
जीत में बदल जाती हर हार।
सच्चे शिक्षक सदा ही,
शिष्य का जीवन देते संवार।
ज्ञान की जोत से जगमग करते,
करवाते अंतस् से साक्षात्कार।