भूल जाऊंगी
भूल जाऊंगी


भूल जाऊंगी तुम्हें, हाँ सच में भूल जाऊंगी
तुम्हारा नाम लिखूंगी कागज़ पर बार-बार
और हर दफ़ा उसे रबर से घिस-घिस कर मिटाऊंगी
भूल जाऊंगी तुम्हें हाँ सच में भूल जाऊंगी।
अगर फिर भी याद आयेगी तुम्हारी तो
लिखूंगी प्यार, इश्क़, मुहब्बत और तुम्हारा नाम
फिर फाड़ कर फेंक दूंगी
चिन्दी-चिन्दी उड़ जाएगी हवा में।
लुढ़केंगी ज़रूर दो बूँद गाल पर
जिन्हें पोंछ डालूंगी एक झटके से
इस तरह भूल जाऊंगी तुम्हें,
हाँ सच में भूल जाऊंगी।