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Goldi Mishra

Romance

3  

Goldi Mishra

Romance

चौबारे

चौबारे

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 होठों की मुस्कुराहट ना जाने कहां खो गई,

वो हँसी वो ठिठोली ना जाने कहां गुम हो गई।।

ना कोई रंग अब दिल को भाए,

ना कोई साज ना श्रृंगार मन को सुहाए।।

हजार रंगो से भरी मेरी ज़िन्दगी से हर रंग छीन कर,

चले गए तुम मेरे सपनों को उजाड़ कर।।

सब हजारों सवाल पूछा करते है,

पर मेरे नैन सब भूल तेरी राह देखा करते है।।

तेरी निशानी को दिल से लगा कर,

बैठी हूं चौबारे पलकों को बिछा कर।।

जुल्फें भी बिखरी है,

एक कांटे सी दिल में तेरी यादें चुभती है।।

मेरी ज़िन्दगी त

ुझ बिन अधूरी है,

जैसे बिन काजल आंखें सूनी है।।

सीने में टूटे कांच के टुकड़े लिए हम जिया करते है,

दिन रात एक घुटन से भरी ज़िन्दगी हम जिया करते है।।

दिन बीते रात कैसे कटेगी,

बिन तुम्हारे तन्हा ये ज़िन्दगी कैसे बीतेगी।।


इतना बेदिल ना बन,

मेरी तकलीफ से इतना अनजान भी ना बन।।

कहीं तुम मुझे भूल तो नहीं गए,

कहीं हमारे रिश्ते के धागे कमज़ोर तो नहीं हो गए।।

जिस राह तू गया था हर शाम उसी को देखा करती हूं,

उस रास्ते से आते हर मुसाफिर से तेरा पता पूछा करती हूं।।



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