भूतों का डेरा
भूतों का डेरा
माँ तुम हो कहाँ
मैं ढूंढ़ती यहाँ वहाँ
कहाँ तुम चली गई
अब आ भी जाओ ना
अजीब सा एहसास है,
जैसे हर वक़्त कोई आसपास है !
हर तरफ छाया अँधेरा,
जैसे हो चुका यहाँ भूतों का डेरा,
देखो हो गई बत्ती भी गुल!
ओवरकोट में देख चमकती आँखें,
मेरी सिट्टी पिट्टी हो गई गुल !
ये सोफा पीछे भागता
ना जाने मुझसे क्या ये माँगता!
वो अलमारी भी आती मेरी ओर,
भूतिया हुआ मानो यहाँ सब,
ना जाने भागूं में किस ओर !
हर तरफ अनजाने साये हैं,
बेहिसाब मुझको डराए हैं,
अजीब ये खौफ का हैं मंज़र
मुझे हर तरफ घूरती नज़र,
माँ एक रौशनी दिखाओ ना
आकर मुझे ले जाओ ना
माँ तुम छुपी किधर
मैं ढूंढ़ती यहाँ वहाँ।

