STORYMIRROR

बेटियाँ

बेटियाँ

1 min
264


घर की रौनक होती हैं सदा

घर की बेटियाँ

जो बनती हैं शोभा

दो घरों के आँगन की।


एक वो, जहाँ गुजारती हैं

बचपन अपना,

बन दुलारी सबकी

दूसरे में गुजारती हैं,

जीवन अपना बन प्यारी

दुलारी बहू सबकी।


रखती है सदा मान वह

घर की दहलीज का

और बढ़ाती है मान

सबका समाज में।


घर की रौनक होती हैं

घर की बेटियाँ ....।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama