बेटियाँ
बेटियाँ
घर की रौनक होती हैं सदा
घर की बेटियाँ
जो बनती हैं शोभा
दो घरों के आँगन की।
एक वो, जहाँ गुजारती हैं
बचपन अपना,
बन दुलारी सबकी
दूसरे में गुजारती हैं,
जीवन अपना बन प्यारी
दुलारी बहू सबकी।
रखती है सदा मान वह
घर की दहलीज का
और बढ़ाती है मान
सबका समाज में।
घर की रौनक होती हैं
घर की बेटियाँ ....।।