बेदर्द माँ
बेदर्द माँ
मैं बेसहारा
मुझसे कर गई किनारा
राह में छोड़ गई
क्या कसूर था मेरा।
क्या भूल पाएगी मुझे
मेरी किस्मत में जीना था
दुःख के घूंट पीना था।
क्यों जन्म दिया
जीवन में लाई मुझको
क्यों ठोकरें खिलाई
जो हाथ मुझे संभाल लेगा
उसको खुशियाँ दे पाऊँ।
पढ़ कर इतना बस
उसका दुःख खरीद पाँऊ
यह अनाथालय है घर मेरा
सुखों का बना दूँगा डेरा।
दुआ देता हूँ उनको
जिसने अनाथालय बनाया
ना परिवार होते हुए भी
सबने मिलकर
परिवार का एहसास कराया।।
