पराई अमानत
पराई अमानत
थोड़ी सी बड़ी होते ही बेटी को समझा दिया जाता है
पाबंदियों से रहेगा तेरा नाता सिखा दिया जाता है
बैठने का तरीका बता दिया जाता है
जोर से खिलखिलाना किसी को नही भाता है
लड़की बन के आई है ,तू तो पराई है
पर भाई के लिए उसूल अलग बनाए हैं
उस पर ना पाबंदी के साए हैं
सोच कर सहम जाती हूं, रोकर आंसू छुपाती हूं
कितना बोलती है ,कम बोलना है
जब सब बैठे ,तब मुंह नहीं खोलना है
हमेशा मर्यादा समझाई है
लड़की बन के आई, तू तो पराई है
बार-बार बताते हैं कुछ सीख ले ससुराल जाना है
पर मुझे सिलाई, कढ़ाई ,बुनाई नहीं सिखने जाना है
क्या कहेंगे, ससुराल वाले कुछ नहीं सीख के आई है
लड़की बन के आई, तू तो पराई है
ससुराल जाने पर जब पति घर के राज बताते हैं
सोच समझ के बोल, यह सब पति को समझाते हैं
बहू है हमारी, पर पराए घर से आई है
मायका और ससुराल पर हमेशा सर्मपित होती आई है
फिर भी लडकी पराई है
ससुराल और मायका मानता पराई है,
भगवान तूने ये लड़की क्यों बनाई है।