मेरी बहना
मेरी बहना
मेरी बहना ..बचपन की यादों का गहना
कुछ चुलबुली ,कुछ गंभीर
बचपन मे लड़ना ,झगड़ना ,रूठना, मनाना
याद आता है वो जमाना ।
आज भी हँसते है जब वो बातें याद आती हैं,
इस समय से बचपन में लौटा लाती हैं।
कौन थी सहेलियाँ ,किनसे होती थी मुलाकात ?
कौन से कपडे भाते थे दोनो को साथ साथ ?
अनगिनत बातों को साझां कर जाते हैं
जब फोन पर खूब हसँते है ,खिलखिलाते हैं।
उदास होने पर उसको फोन मिलाती हूँ
कभी खुद समझती हूँ, उससे कभी उसे समझाती हूँ।
समय कम पढ़ जाता है ,जब भी कोई फोन मिलाता है
एक बहन के साथ वो है मेरी सहेली..पर ये भी कोई बात है कहना
मेरी प्यारी बहना ,बचपन की यादो का गहना।