☆बात मेरी ☆
☆बात मेरी ☆
आँखों में उतर आप दिल की
अनंत गहराईयों में सजाई,
आँखों से कह अपनी बातों को
आपने यह कैसी प्यास जगाई।
धड़कने दिल की बस अब तो
आपके ही गीत गाती हैं,
कर मदहोश खुशबू से आपके
हर सांस मेरी आती जाती हैं।
मैं तो एक दीवाना ठहरा
मेरे लिए क्या वीराना और सेहरा,
हर कदम पर आपकी महफिल
हर दुआ में आपका चेहरा।
अक्सर राहों में है कोई मिल जाता
पर आपसा है कहाँ कोई भाता,
बताता हूँ आपको बात इतनी
आपसे है पिछले जन्म का नाता।
बहुत कह ली और सुन ली
अपनी इतनी बस और कहूँगा,
आपको जां जाना है दिलवर
आपके लिए अपनी जां भी दूँगा।