ऐसी बारात देखी न होगी कभी
ऐसी बारात देखी न होगी कभी
ऐसी बारात देखी न होगी कभी, जिसमें मातम भी था और सौगात भी ।
एक खुशियों का मंडप सजा था मगर, उसमें मौजूद थे घात प्रतिघात भी ।।
इस तरफ दो बदन मिल रहे थे उधर, आत्मा जिस्म से मुक्त होने को थी ।
इस तरफ रात जगती रही जश्न में, उस तरफ जिंदगी नींद सोने को थी ।।
इस तरफ ख्वाहिशें जन्म पाती रहीं, रस्म निभती रही जिंदगी के लिए ।
उस तरफ हसरतों का जनाजा उठा, एक जीवन मिटा बन्दगी के लिए ।।
दो दिलों ने किये जो थे' वादे कभी, आज उनके लिए खौफ की रात थी ।
रौंद करके भरोसा कहीं जश्न था, तो कहीं पर कयामत की' बरसात थी ।।
एक ने सारे वादों को' फूंका उधर, और ख्वाबों की दुनिया में खोता गया ।
एक वादों के सिक्के लिए बेरहम, जिंदगी के थपेड़ों को ढोता गया ।।
एक ने ख्वाब खुशियाँ अदावत चुनी, एक ने प्यार ईमान का घर चुना ।
एक आँखों में पानी लिए रह गया, एक ने ख्वाहिशों का समंदर चुना ।।
फर्क दोनों में इतना रहा दोस्तों, एक जीता रहा और हँसता रहा ।
दूसरा मौत की सेज पर सो गया, जिंदगी की अगन सा सुलगता रहा ।।
एक ने फूल वादों के मसले इधर, और ख्वाबों की जन्नत में खोता गया ।
दूसरा फ़ूल वादों के ले मौत तक, हर कदम टूटता जुड़ता' रोता गया ।।