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Anjali Jain

Tragedy

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Anjali Jain

Tragedy

नज़रिया

नज़रिया

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वक़्त वक़्त पे हम पर ही उंगलियाँ उठायेंगे,

कभी उन तीन उंगली का इशारा तो समझ के देखो।


वक़्त वक़्त पे ये हमे ही कपड़ों का थान पहनाते रहेंगे,

कभी खुद की नजरों से परदा तो हटाकर देखो।


वक़्त वक़्त पे ये हमारी ही गलतियां दिखाएंगे, 

कभी खुद के पक्ष में तो झांक कर देखो।


वक़्त वक़्त पे ये हमे ही दोषी करार देंगे,

कभी हमारी दलील तो सुनकर देखो।


वक़्त वक़्त पे हम ही सजा पायेंगे,

कभी खुद तो उसे गुजर कर देखो।


वक़्त वक़्त पे हमे ही इनका मोल चुकाना है,

कभी उसकी कीमत तो सोचकर देखो।


हर वक़्त इन्हें हमे ही सुनाना है,

दुनिया के डर से इनको हमे ही फुसलाना है,


सुरक्षा के नाम पे हमे ही कैद करना है, 

लोग क्या कहेंगे इस बात से हमे ही जकड़ना है।


कभी खुद का नज़रिया तो बदल कर देखो,

कभी खुद का नज़रिया तो बदल कर देखो।


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