आग तेरी प्रीत की...
आग तेरी प्रीत की...
आग तेरी प्रीत की मोरे तन-मन में लगी,
मोम सा जल उठा मेरा जिया,
सिसक-सिसक आहें भरने लगी,
तुझसे अब मोरा रैन-बसेरा,
आग तेरी प्रीत की मोरे तन-मन में लगी।
बुझे न बुझे ,
बस सुलगी जाए मोरे भीतर,
ये तेरे प्रीत का कैसा कहर,
मुझ से ही जुदा हो रहा मोरा मन,
आग तेरी प्रीत की मोरे तन-मन में लगी।