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Anjali Jain

Abstract Romance

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Anjali Jain

Abstract Romance

आग तेरी प्रीत की...

आग तेरी प्रीत की...

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आग तेरी प्रीत की मोरे तन-मन में लगी,

मोम सा जल उठा मेरा जिया,

सिसक-सिसक आहें भरने लगी,

तुझसे अब मोरा रैन-बसेरा,

आग तेरी प्रीत की मोरे तन-मन में लगी। 


बुझे न बुझे ,

बस सुलगी जाए मोरे भीतर,

ये तेरे प्रीत का कैसा कहर,

मुझ से ही जुदा हो रहा मोरा मन,

आग तेरी प्रीत की मोरे तन-मन में लगी।


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