वास्तविकता से मिलो दुर...
वास्तविकता से मिलो दुर...
वास्तविकता से बहुत दुर हम किसी सोच पे है निकले ,
ना जाने कौन से परिंदे मिलेंगे राह में,
ना जाने क्या मुकाम है,
ना जाने इस सोच का क्या अंजाम है,
पर फिर भी हम इस पथ पे चले है।
जहाँ जीवन का कोई मोल ना,
ना जीने का कोई मोहोल,
ऐसे जहान से फासले कर,
हम अपने किसी सफर पे है निकले,
वास्तविकता से बहुत दुर हम किसी सोच पे है निकले।
यहां दुनिया भी अपनी,
और लोग भी अपने,
ना बैर, ना मन-भेद,
बस अपनी ही दुनिया में है मग्न,
वास्तविकता से बहुत दुर हम किसी सोच पे है निकले।
ना रोग है, ना रोगी,
ना प्रेमी, ना जोगी,
ना दोस्त, ना दुश्मन,
ना कोइ रिश्ते, ना कोई दिखावा,
ना कोई गैर है, ना कोई अपना,
वास्तविकता से बहुत दुर हम किसी सोच पे है निकले।
लोटने का ना ठिकाना,
ना कही पहुंचने की होड़,
बस अपने ही चित्त में विचलित पड़े सब,
वास्तविकता से बहुत दूर हम किसी सोच पे है निकले।