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Pinky Dubey

Abstract Tragedy

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Pinky Dubey

Abstract Tragedy

ख्वाहिश

ख्वाहिश

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ख्वाहिश है की मेरा भी कोई हो अपना

जो मेरे दुःख दर्द को समझे

जो मेरे सपनों को पूरा करने के लिए मेरा साथ दे

ख्वाहिश है की कोई मेरा भी हो अपना

जो मेरे पागलपन को पसंद करे

जो मेरी बातों को चुप-चाप सुने

ख्वाहिश है की अगर मैं रूठ जाऊँ

तो वो मुझे मनाए

ख्वाहिश है मेरा भी घर हो अपना

जहाँ मैं रह सकूं सुकून से

ख्वाहिश है मैं भी उड़ू खुले आसमानों में

ख्वाहिश मैं भी घूमूँ बाहर

मगर यह ख्वाहिश सपना बन टूट जाती है

जब आँखें खुलती है सुबह

बस रह जाती है एक उम्मीद

काश यह ख्वाहिश मेरी कभी न कभी पुरी हो जाए


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