जुदाई
जुदाई


तेरी तस्वीर को
सीने से लगाकर
आहें भर लेती हूँ
तेरे बाँहों में
महसूस कर
ख़ुद को सिमट लेती हूँ
दिल तो बच्चा है
नादान कहानियों में
उलझ जाता है
तेरे एहसास की
चादर ओढ़ कर
नम आँखों को सुलाती हूँ
तेरे आहट के
वहम से मैं
करवट बदलते रहती हूँ
तेरे आग़ोश में
सुकून के लिए
तड़पती रहती हूँ
नींद तो तेरे
सपनों को लिपटकर
रात गुज़ार लेती है
तेरे दीदार के
इंतज़ार में मैं
रातभर जागती रहती हूँ।