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Hardik Mahajan Hardik

Tragedy Inspirational

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Hardik Mahajan Hardik

Tragedy Inspirational

दहलीज़ पर मिरे

दहलीज़ पर मिरे

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दहलीज़ पर मिरे, फिर यादें सिमटी है,

चाय,किताबें,इश्क़,औऱ बस तुम है।


ख़ुशियों के इस, जहाँ में बेकरारी है, 

जहाँ होके गुज़री, दुनियादारी हमारी।


ख़्वाब से परे यादों, को सिमट रही है,

फ़िक्र बेफ़िक्र इश्क़, की इज़तराब सी।


फ़िज़ूल किस कद्र, वे यादें सिमटी है,

जाने अनजाने ही, वो किताबों मे मिरे।


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