आजकल लोग गज़ब करते हैं
आजकल लोग गज़ब करते हैं
कैसे कैसे करतब अजब करते हैं
आजकल लोग गजब करते हैं
बहुत शोर होता है
जब सत्ता का दौर होता है
गली गली गांव गांव
हर टोली चर्चा हर और होता है
आज किसी का तो
कल किसी का ज़ोर होता है
कभी खुद के कभी गैरों के
राज खोलता है
यहां हर शख्स
कुछ न कुछ बोलता है
कितने जाने कितने लोग
करोड़ों अरबों खरबों लोग
अचानक खड़े हो जाते हैं
किसी भी धर्म से बड़े हो जाते हैं
ऐसे वैसे दावे बेसबब करते हैं
आजकल लोग गजब करते हैं
बड़ा विचित्र है यह संयोग
जाने कहां खो जाते हैं यह लोग
जब कोई चीत्कार करता है
सरे राह तड़पता है
वास्ता देता है बंदगी का
जब कोई शिकार होता है दरिंदगी का
तब ये तमाम लोग
अचानक बदल जाते हैं मशीनों में
राह पर चलती मशीनें
रेंगती हुई मशीनें
मशीनों पर सवार मशीनें
तड़पने वाला तड़पता है
मशीनों के कान नहीं होते
दिल भी नहीं
संवेदनाएं भी नहीं
मरने वाला मर जाता है
कुछ मशीनें मशीनों से
चित्र उतारती हैं
मशीनों परसवार होकर
निकल जाती है मशीनें
फिर सब लाल बुझक्कड़
सर से सर जोड़ कर
देश की सोचते हैं
सरकार को कोसते हैं
और
अखबार बाअदब पढ़ते हैं
आजकल लोग ग़ज़ब करते हैं।