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DR ARUN KUMAR SHASTRI

Tragedy Classics Inspirational

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DR ARUN KUMAR SHASTRI

Tragedy Classics Inspirational

दर्द

दर्द

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दर्द को तन्हाई में छोड़ दिया !

याद करना छोड़ दिया !

जिकर करना भी छोड़ दिया ! 


तसब्बुर तेरे अल्फ़ाज़ मिरि नब्ज़ !

क़सम कासिम की !

अब तो रोना छोड़ दिया ! 


तखलिया कहना कह कर ! 

बेइज्जत होना बद्तमीज !

का काम था उसकी गली से !

अब अरुण ने गुजरना भी छोड़ दिया ! 


दर्द को तन्हाई में छोड़ दिया !

याद करना छोड़ दिया !

जिक्र करना भी छोड़ दिया !


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