मेरे दिल की कश्ती
मेरे दिल की कश्ती
तुम वो किनारा हो जिसकी तलाश में
मेरे दिल की कश्ती भटक रही है,
ये दिल है कि मानता नहीं तेरे सिवा किसी
और को अपना बनाता नही,
हर पल पल पल तेरा इंतेजर है इस दिल को,
जाने कब तुम लौटोगे और इस कश्ती को
किनारा मिलेगा,
तेरे हर वादे पर है मुझको यकीन रब से ज्यादा,
देर ना इतनी कर देना की ये कश्ती किनारे पे डूब जाए,
लौट आओ अब तुम और इंतेजर अब होता नही मुझसे,
दुनिया के हर सवाल का जवाब हमको मिलकर देना है,
हार ना जाए ये प्यार हमारा डूब ना जाये ये दिल की कश्ती
इसको आकर पार लगा दो,
एक नई सुरुआत हमको है करनी हर किसी के मुँह पर
ताले है लगाने,
कोई हमको फिर बार बार सवालो के अमभारो के नीचे
ना दबा पाए,
अपना एक आशियाना हमको मिलकर है बनाना और सपने
नए है संजोने आंखों में,
जिंदगी की राहों का सफर हमको मिलकर है अब तय करना
अपने दिल की कश्ती को हमको है किनारे पर लाना।
