प्यार से दोस्ति का सफर
प्यार से दोस्ति का सफर
ना सोच कि क्या करना है तुझे, कर वही जो ठीक लगे तुझे
किसी से दोस्ती की गुहार, वो पहला प्यार, पहली दफा की पुकार।
उसे पा लेने की खुशी और एक एहसास बाद दोस्ती से प्यार।
गैर कम अपनों का सताना, फिर मैं भी क्या करूँ कह के उसे भूल जाना,
जो दिल में आज भी हो एक जगह बनाए रखे,
जो दोस्ती से प्यार में आपकी कीमत सजाये रखे,
जो कभी कहता हो प्यार में तितली की तरह हूँ,
जब आयी जिंदगी में बाग कर गयी।
तब ये सुनकर मैं उस दिन दोस्ती से प्यार के सफर को पाक कहलाऊँ,
पर अफ़सोस है ये ना कहकर उसकी दोस्ती में हाथ बढाऊँ।
उसके किये हुए वादों से न मुक़रकर उस पे गुरुर जताऊं।
फिर एक बार नए दौर में मुलाकातों को एक कदम आगे बढाऊँ
और इस बार जिंदगी के सफ़र में प्यार से दोस्ती का सफ़र जारी करवाऊँ।