मेरे अल्फ़ाज़ तेरे दिल मे.....
मेरे अल्फ़ाज़ तेरे दिल मे.....
मेरे अल्फ़ाज़ आज भी तेरे दिल को छू जाते होंगे,
मेरे बाद भी मेरे ये अल्फ़ाज़ तेरे दिल मे रहेंगे याद बनकर,
अपने शब्दों को बड़े प्यार से मोतियो की माला बनाकर पिरोते हैं,
हर किसी की समझ मे आ जाये ऐसे शब्द मेरे दिल की कहानी बयाँ करते हैं,
कवि तो नही हूँ पर कविता लिखने का हुनर जाने कहाँ से आ गया,
शायद कोई पिछले जन्म का रिश्ता हैं मेरा शायरी से जो ये हुनर बनकर उभर आया,
नही याद हमको कोई भी कविता या कवि जिसको हमने पढ़ा था किताबो में कभी,
हैरान हम खुद हो जाते हैं ये लिखने की आदत हमको कैसे लग गयी,
प्यार बहुत गम देता हैं या ख़ुशियाँ की लोग दीवाने शायर बन जाते हैं,
प्यार हमारा था राधा सा मीरा सा जानते थे कि मंज़िल कभी ना मिलेगी,
चन्द कविताएं लिखी थी तेरे प्यार में खुशिओं के वो पल थे
अब तो गम भी इसमें शामिल हो गए
भूल ना पाओगे तुम हमको हमारी बातो को भी मेरी प्रेरणा तो तुम ही थे
जुदा हुए हमको ज़माना बीत गया फिर भी रहते हो हर पल मेरे ख्यालोंमें,
एक तेरे सिवा कोई और नही दोस्त मेरा हमराज़ मेरा कोई अब तो,
इन अल्फाज़ो के जरिये ही हम अपनी कहानी तुझ तक पहुँचाते हैं,
मेरे ये अल्फ़ाज़ तेरा दिल झंझोरते तो होंगे तेरी अंतरात्मा तुझे कोसती तो होगी।
