नारी
नारी
समर्पण का नाम हैं नारी
सृष्टि का आकार है नारी
प्रेम की सत्यता है नारी
अधरों की मुस्कान है नारी
संतप्त हृदय की प्यास है नारी
धैर्य की मिसाल है नारी
स्वयं को अपने में समेटे है नारी
शब्दों का अर्थ है नारी
समस्याओं का समाधान है नारी
ग्रीष्म की तपन में शीतल चाँदनी है नारी
बिखरे संगीत की सरगम है नारी
बिना किसी आशा के जीवन जीती है नारी
शांत निर्मल रह तूफानों को झेलती है नारी
माँ, बहू, बेटी, पत्नी के फर्ज़ निभाती है नारी
परिवर्तन की इच्छुक बदलाव की परिभाषा है नारी
फिर भी कितनी हाँ कितनी पिछड़ी है नारी
पुरुषों के आगे आज भी नकारी जाती है नारी
अस्मिता अपनी बचाने मेँ आज भी लगी है नारी
इसलिए कलम की भाषा बदलना चाहती है नारी
मन की सतह टटोलकर आगे बढ़ना चाहती है नारी
समाज की कुंठित मानसिकता बदलना चाहती है नारी
देह का सौन्दर्य नहीं बुद्धि की प्रवीणता दर्शाना चाहती है नारी
थमना नहीं नए आयाम बनाना चाहती है नारी
पैरों में पड़ी जंजीरों को तोड़ उड़ना चाहती है नारी
स्वाभिमान की रक्षा कर आगे बढ़ना चाहती है नारी
हाँ ! बस यही, बस यही बदलाव चाहती है नारी.....
चाहती है नारीl
