तुम धड़कन
तुम धड़कन
तुम हो तो
सनम जा है
और क्या पूछते हो,
न करो मनमानी
न बनो नादां
छोड़ो तड़पाना
क्यूँ ऐसे रूठते हो।
कहने को कहते हो
तुम मुझसे मेरी
तो सुुन लो बस
यह दिल की कही
गुम तुझमें है मेरा मन
तुमसे है साँसों की सरगम।
हम धुन में तुम्हारे
न्योछावर तन कर देें
सनम यह कर विश्वास,
न मिलेगा साथी हमसा
कई जन्म की गाथा में
यह अनकही कथा सा
हमारी तो इक
बस यही प्यास
जब जब जीवन हो
तुम संगिनी संग हो
हरपल है यह आस।

