Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

धर्म

धर्म

2 mins
525


ट्रेन अपनी रफ्तार से आगे बढ़ रही थी और मैं, बर्थ पर लेटे-लेटे, सामने दो यात्रियों के बीच चल रहे शास्त्रार्थ का आनंद ले रहा था। एक अपने हिन्दू धर्म की बखान कर रहे थे तो दूसरे, अपने ईसाई धर्म की बातें बघार रहे थे।

हिन्दू भाई कहते, ”रामायण-महाभारत” जैसा महान कोई धर्मग्रंथ ही नहीं है और ईसाई भाई कहते, ‘बाईबल’ सभी धर्मग्रंथों से पाक साफ़ है।" उन लोगों की बातचीत, गाड़ी की तेज गति के साथ-साथ धर्म को तोड़ो और जोड़ो वाली राजनीति में तब्दील हो चुकी थी।

अब मुझसे रहा नहीं गया, मैंने उन दोनों से कहा, “आप लोगों की इजाजत हो तो मैं भी कुछ कहना चाहूँगा।”

“हाँ...हाँ...क्यूँ नहीं... सुनाइए।” दोनों एक साथ इस तरह से बोल पड़े, मानो, मेरे मुंह से तीसरे धर्म की चर्चा सुनने के लिए...उतावले हों।“

आप दोनों की धर्म की बातें सुनकर, मैं, सच में निराश हो गया हूँ।” मैंने सहजता से कहा।

“अच्छा तो फिर आप अपने धर्म की बात बताइये, हम लोग भी सुने आप किस धर्म को मानते हैं।”

“धर्म कोई भी हो, वह एक व्यवस्था है। मैं, किसी व्यवस्था कि सीमा में बंधकर रहना नहीं चाहता क्योंकि, सीमा हमेशा अवरोध खड़ा करती है।”

इतना सुनते ही दोनों यात्री गंभीर स्वर से पूछे, “अच्छा, आप, साफ़-साफ़ बताइए, ‘हिन्दू, मुसलमान, सिक्ख, ईसाई’ कौन से धर्म को मानते हैं ?”

“जितने सारे धर्मों के नाम आप दोनों ने गिनाये हैं, सभी अलग-अलग नियमों में बंधे हैं और सभी के रास्ते भी अलग-अलग हैं। पर सभी धर्मों का मंजिल एक ही है ..'.मानवता'।

रास्ते तो सभी को याद रहते पर मंजिल हमें कभी याद ही नहीं रहती ! जहाँ देखो, सभी अपनी-अपनी रोटी सेंकने में मानवता को हमेशा कटघरे में ला खड़ा कर देते हैं।

मैं इन बंधनों के झमेले में उलझना नहीं चाहता। मैं सिर्फ धार्मिक कहलाना पसंद करता हूँ।“


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract