minni mishra

Tragedy Inspirational

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minni mishra

Tragedy Inspirational

निदान

निदान

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“ ट्रिंग......ट्रिंग ...। उफ्फ्फ !कॉल बेल के चलते मैं कभी ठीक से आराम नहीं कर पाती हूँ ! कभी धोबी, कभी कचड़े वाला ...कभी कामवाली.. कभी केवल वाला तो कभी पेपर वाला ! दरवाजा खोलो...बंद करो..दिन भर यही लगा रहता है। जाइए जी.. आप ही देखिये , अभी मैं बिस्तर से उठने वाली नहीं हूँ।” मैंने पतिदेव से कहा और पतिदेव चल दिये।


 

“आओ...जल्दी से, संभालो अपनी कमली को ...।” पतिदेव ने दरवाजे से ऊँची आवाज लगायी।


“ अरे! फिर क्या हुआ...इसे...?”  मन मसोसते हुए मैं बिछावन से उठकर बाहर गई। ओह! ये क्या कमली (कामवाली )...? तेरे चेहरे पर काले निशान !  

चल, अंदर ..।”  कमली मेरे साथ अंदर आयी।


“मेमसाब , आज मैं काम नहीं करूँगी...यही कहने आयी हूँ।”


 “पहले ये बता, तेरे चेहरे पर ये काले निशान कैसे पड़े ?”


“ आज मेरे मर्द ने... फिर से शराब पीकर मुझे खूब पीटा है। जब भी घर खर्च के लिए उससे पैसे मांगती हूँ , जानवर की तरह व्यवहार करता है। बच्चों के सामने चिल्लाकर कहता है,"जा.., उस कोठेवाले से पैसा मांग, जिसके घर सबेरे -सबेरे उठकर भागती है। मेमसाब !मार-पीट सहा जाता...पर, पति के द्वारा बदचलन कहलाना मुझसे बर्दाश्त नहीं होता ! दिल करता है...चारों बच्चियों के साथ रेल की पटरी पर सो जाऊँ!”  कहते-कहते कमली फफकने लगी।


“शराब पीकर तुझे मारता है, सो तुमसे सहा जाता है, परंतु लांछना लगाता है, वो तुमसे बर्दाश्त नहीं होता ? दोनों बातें गलत हैं।कमली, रोने से काम नहीं चलेगा। हिम्मत दिखा, अपनी बच्चियों को तालीम दिलाकर उन्हें आत्म निर्भर बनाओ..नहीं तो तुम्हारी तरह अनपढ़ रह कर उन्हें भी पति के अत्याचार सहने पड़ेंगे, समझी? बच्चों को जन्म देने से ही..औरत माँ नहीं कहलाती, माँ कहलाने के लिए उसे बीज की तरह गलना पड़ता है। अब जल्दी से घर जाओ, बच्चियाँ तेरा इन्तजार कर रही होंगी। एक बात और सुन ले, 'बिन भय होत न प्रीति ।अब कभी तुम्हारा मर्द तुम पर हाथ उठाये...तुम अपने दोनों हाथों से इसका इस्तेमाल करना न भूलना । ”   पैरों से चप्पल उतार कर मैंने उसे थमाते हुए कहा। 


  कमली की पथरायी आँखें एकाएक चमक उठीं । ---

                   


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