माँ
माँ
“ बेटा , दुर्गापूजा में सभी रिश्तेदार गाँव पहुँच गये हैं । केवल हमलोग ही बचे हैं, सो जाना जरूरी लग रहा है। साल में यही एक पर्व होता है, जहाँ परिवार के सभी लोग इकट्ठा होते हैं।सबसे भेंट होती है, बहुत मजा आता है।लेकिन इस बार तेरा दसवीं का बोर्ड है,गाँव जाने से तुम्हारे चार दिन बर्बाद हो जाएंगे !”
“हूँ...सो..तो..है। ऐसा करो, तुम और पापा चार दिनों के लिए गाँव चली जाओ। ”
“तुम ठीक कहते हो बेटा।आज दोपहर में ही हम निकल जाते हैं|मैं तुम्हारे लिए खीर, पूरी और सूखी सब्जी बना कर रख देती हूँ , घर में सत्तू, पोहा,ब्रेड और नमकीन भी पड़ा है। सुनो, मोबाइल हमेशा अपने साथ रखना और मुझसे बातें करते रहना।ये लो हजार रुपये , इससे दूध, मिठाई , फल आदि खरीद लेना । तुम मन लगाकर पढ़ना।विजयादशमी के दिन हमलोग निश्चित वापस आ जायेंगे।”
“अरे ...माँ ! तुम बेकार ही परेशान हो रही हो ! मेरे क्लास के बहुत सारे बच्चे यहाँ बोर्डिंग में रहते हैं।इसलिए मेरी चिंता छोड़ो , अब तुम गाँव जाने की तैयारी करो।”
बेटे रौशन के कथनानुसार दोपहर को माता-पिता दोनों गाँव के लिए प्रस्थान कर गये।
कुछ ही देर बाद मोबाइल की घंटी बजी... "हेलो... कौन?” रौशन ने तपाक से पूछा।
“मैं.. वैभव।” उधर से आवाज आई।
" अरे यार!क्या हाल-चाल है ?”
" मेरा सब ठीक है। तू अपना बता।”
"क्या कहूँ! पढ़ाई के चलते मैं दुर्गापूजा में घर नहीं जा सका। ” रौशन ने मायूस हो कर कहा।
“कोई बात नहीं यार ,इस बार दशहरा-मेला में मुंबई से ओर्केस्ट्रा आ रहा है,तुम्हारे साथ खूब मजा करेंगे।बस जल्दी से तू मेरे पास आ जा..”
रौशन दोस्त के पास पीजी पहुँच गया। वैभव के साथ दो दिनों तक मेला घूमता रहा। कल रोशन को वापस अपने घर जाना था। वह गंभीर लग रहा था । वैभव ने उसके चेहरे के भाव को पढ़ते हुए कहा, “या..र, पब चलते हैं, देखना सारा टेंशन छू मन्तर हो जाएगा।
रौशन हाँ-हूँ.. किये बिना चुपचाप सब सुनता रहा, तभी उसके फोन की घंटी बजी। उसे मोबाइल में माँ का फोटो दिखा, वह पॉकेट में मोबाइल को रख कर झट से खड़ा हो गया।”
“क्या हुआ रौशन?” वैभव ने आश्चर्यचकित होकर पूछा।
“माँ को मैंने अभी देखा है, अब मुझे किसी बात की टेंशन नहीं है। मैं घर जाना चाहता हूँ। " रौशन ने सरलता से जवाब दिया।
इस महानगर में मेरे माता-पिता , तिनका-तिनका जोड़ कर अपने सपनों का महल बना रहे हैं, मैं उस घर को बिखरने देना नहीं चाहता ....! आज महानवमी है, घर जाकर मैं अपनी माँ की आरती उतारुंगा।” रौशन ने वैभव को मोबाइल में माँ की तस्वीर दिखाते हुए कहा और वह वहाँ से चलता बना।