सन् २०७० की हाउस वाइफ
सन् २०७० की हाउस वाइफ
वर्ष २०२२ में... जब वह हाउस वाइफ थी .।
सासू मां ने एक सुंदर गुलाबी रंग की साड़ी भेंट में दी थी ...। उसे वह साड़ी बहुत पसंद आ रही थी, क्योंकि उसका पसंदीदा गुलाबी रंग था, सब कहते थे कि, उसपर गुलाबी रंग बहुत खिलता था ..।
सास ने उसे पास बुलाया और कहा, "-- तुम एक भली सुगृहणी हो ..। ये साड़ी किसी को कभी मत देना क्योंकि, इसमें जरी का काम भी है वो भी खालिस सोने का ..। ये साड़ी मुझे मेरी सास ने दी थी और तुम इसे अपनी बहू को ही देना ..।"
ये सासू मां थीं उस जमाने २०२२ की...जब उसकी सासू मां बेहद मितव्यई थीं ...। उनका उन्हें साड़ी देना बड़ी हैरानी का विषय रहा, क्योंकि, उन्होंने कभी कोई भी वस्तु उसे भेंट में नहीं दी ..। यह बात वह जानती थी ..। एक हाउस वाइफ का उसका सफर जारी था ..।
उसने गुलाबी साड़ी बड़ी हिफाजत से सम्भालकर रखी ..।
वर्ष धीरे -धीरे २०७० की ओर ..उसका बेटा बड़ा हो रहा था, बहू ढूंढ के लिए उसने बेटे से इस बाबत इच्छा जताई, तो बेटे ने तुरंत मां को मन की बात बताई, उसने एक रोबोट तकाशी जापानी कम्पनी की पसंद कर ली है कहता था, "--मां यही ठीक रहेगी, कुछ समय से जिस हिसाब से एडरजस्टमेंट है, तो देखा कि, इक्कीसवीं सदी में तलाक़ बहुत हो रहे थे, जापानी कम्पनी की रोबोट पत्नियां बहुत हाई टेक हैं, मेरे मित्र जय ने तो चाइनीज कम्पनी की रोबोट पसंद की थी किन्तु, बाद में पता चला वो घर की चुगलियां बाहर को यानी चायना करती थी, पूरी की पूरी वहां की जासूस थी ..। यह तो जापानी है तो थोड़ा ट्रेडिशनल और क्लचरल है ..खैर इसे अब इंडिया के कल्चर के साथ प्रोग्रामिंग करनी होगी ... फिर ये सारी इंडियन डिशेज भी बनाएगी ..।"
बेटे की ऐसी बातें उसे कुछ अजीब लग रहीं थीं ...होती क्यों ना अजीब ये साल २०७० जो था ...। और वह क्या कह सकती थी समय था उसके संग चलना जरूरी था ..।
सोच रही है रोबोटिक बहू पर कैसे धौंस जमाएगी .. वक्त आने पर मायके भी गुस्से में वो ना जाएगी, तीज त्यौहार काम करेगी, ना रुठेगी ना मनाएगी ..ये कैसी बहू आएगी ..?!
उसके दिमाग में हलचल मची है सोच रही है खालिस सोने की जरी वाला काम २०२२ वाली गुलाबी साड़ी को वह रोबोट बहू को कैसे देगी . क्या वो खुश होगी ..? अगर होगी तो तारीफ कैसे करेगी ..।
कम्प्यूटर की आवाज में ... मम्मी तकाशी को यह गुलाबी साड़ी अच्छी लगी है ...। यह साड़ी ओसम है ..। धन्यवाद.. धन्यवाद... धन्यवाद ।
उसके मस्तिष्क में यह आवाज गूंज रही थी और वो पीछे २०२२ को देख रही थी ।
सोच रही थी २०२२ से २०७० में हाउस वाइफ कितनी बदल गई ..। उस गुलाबी साड़ी में उसका सौन्दर्य दिव्यतम लगता था, लेकिन इस मशीन युग की रोबोट बहू ने उसके सास के बुने सपने के कैरियर से छलांग ही लगा दी आते रोबोट बहू को मेंटेन्स चार्ज ही लगता है जो, और अन्य बहुओं की तुलना में फैशन और पार्लर के हिसाब से काफी कम है, नए शृंगार पटाव की डिमांड लगभग खत्म ही हो गई है ..।
समय बदला था हाउस वाइफ को सर्वप्रथम परिवार में सबका ख्याल रखना पड़ता था ..। उसे मशीन की तरह सब कार्य करने पड़ते थे, फिर समय थोड़ा बदला, थोड़ी अपने प्रति सजग हुईं, दूसरे युग में वह सबके साथ अपना ध्यान भी रखती थीं .. । तदंंतर फिर समय ने करवट ली केवल अपने तक सीमित रह गई ...और आगे कहानी बेटे को पता थी, तो उसने रोबोट को ही बहू बना दिया ना रहा बांस ना बजीं बांसुरी ..।