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Sunanda Aswal

Abstract Classics Inspirational

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Sunanda Aswal

Abstract Classics Inspirational

सुर्खियां अखबार की

सुर्खियां अखबार की

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अखबारों की सुर्खियों में सत्य नदारद हैं

झूठ की परतों में सच ढक ग‌ए हैं‌ !

कहीं आग लगी हैघर गिरवी पड़े हैं

मौत के मातम में सूने घर हुए हैं !


बुनियदों में राज दबे हैं, जिनके सौदे हुए हैं

काली कमाई के कारोबार लगे हैं !

सफेद पोशों के राज में,

 गुलाबी अखबार बिके हैं !


अखबार का मालिक बड़ा है

वह खुदा-मसीहा नहीं है !

  खबर बेच रहा है,खबर दे रहा है

  बढ़ता व्यापार है, कमिशन ले रहा है!


घूस के दमपर, खामोशी दफन है

गरीब के आंगन में,महल उसका खड़ा है !


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