सुर्खियां अखबार की
सुर्खियां अखबार की
अखबारों की सुर्खियों में सत्य नदारद हैं
झूठ की परतों में सच ढक गए हैं !
कहीं आग लगी हैघर गिरवी पड़े हैं
मौत के मातम में सूने घर हुए हैं !
बुनियदों में राज दबे हैं, जिनके सौदे हुए हैं
काली कमाई के कारोबार लगे हैं !
सफेद पोशों के राज में,
गुलाबी अखबार बिके हैं !
अखबार का मालिक बड़ा है
वह खुदा-मसीहा नहीं है !
खबर बेच रहा है,खबर दे रहा है
बढ़ता व्यापार है, कमिशन ले रहा है!
घूस के दमपर, खामोशी दफन है
गरीब के आंगन में,महल उसका खड़ा है !
