लेखक: विक्टर द्रागून्स्की अनु: आ. चारुमति रामदास लेखक: विक्टर द्रागून्स्की अनु: आ. चारुमति रामदास
आँखों में आँसुओ का सैलाब उमड़ पड़ता है, जिसे शायद रोका गया था, शादी के तैयारियों के शुरुआत से ह... आँखों में आँसुओ का सैलाब उमड़ पड़ता है, जिसे शायद रोका गया था, शादी के तैया...
बाबूजी हम सभी प्रकार का आहार लेते है जैसे हरि सब्जी, मछली, माँस आदि और हम तीनों बार भी भर पेट अपना आ... बाबूजी हम सभी प्रकार का आहार लेते है जैसे हरि सब्जी, मछली, माँस आदि और हम तीनों ...
लेखक : वलेन्तीना असेयेवा अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक : वलेन्तीना असेयेवा अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
लेकिन उसे यह सब कुछ जाना पहचाना लगा। लेकिन उसे यह सब कुछ जाना पहचाना लगा।
अभी तो होश आया है, कहती कहती रानी पल भर में घर से बाहर हो गयी। अभी तो होश आया है, कहती कहती रानी पल भर में घर से बाहर हो गयी।